प्रेम - श्री श्री रवि शंकर

जीवन की हर एक इच्छा के पीछे एक ही मांग है। आप यदि परख् कर देखो कि वो मांग क्या है, तो निश्चित रूप से मालुम पड़्ता है कि वह है ढा़ई अक्षर प्रेम क। सब कुछ हो जीवन में, पर प्रेम न हो, तब जीवन जीवन नहीं रह जाता। प्रेम हो, और कुछ हो या न हो, फिर भी

19 March, 2010



    Power of greatness