Sri Banke Bihari ji ke sawaiya, 25 of 144
२५. तेरी न चेरी न तेरे ददा की, न कोल्हूं में डारि पेराइ देवै हों। खैचत हौ अंचरा गहि कै, फटि हे चुनरी कमरी दे के जै हों॥ टूटेंगे हार हमेल हजार तौ नन्द जसोदा समेत बिकै हों। राजी चहौ दधि खाओ भला वरि आई लला एक बूंद न पैहों॥