Swami Sri Haridas’s Ashtadas Sidhant, Verse 6, Ragani Aasavari
॥ रागनी आसावरी ॥ Swami Sri Haridas's poetry, वंदे अख्त्यार भला। चित न डुलाव आव समाधि भीतर न होहु अगला॥
॥ रागनी आसावरी ॥ Swami Sri Haridas's poetry, वंदे अख्त्यार भला। चित न डुलाव आव समाधि भीतर न होहु अगला॥
तुम्हारी माया बाजी विचित्र पसारी, मोहे मुनि सुनि भुले काके कोड़। कहें श्री हरिदास हम जीते, हारे तुम, तोउ न तोड़॥५॥ Sri Haridas says, ‘O, Hari, I am competing with you. There is none who can mess up things more than me, and there is none who can
कहें श्री हरिदास मीच ज्यों आवे, ज्यों धन है आपन कौ॥४॥
जाहि तुमसों हित तासों तुम हित करौ, सब सुख कारिनी। श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कुंजबिहारी, प्राननि के आधारिनी॥२॥ Sri Haridas ji says, ‘Sri Krishna and Radha Rani, it is by your grace alone that everything gets done. It is pointless to discuss
श्री कुंजविहारिणे नमः ॥राग विभास॥ ज्योंही ज्योंही तुम राखत हौं, त्योंही त्योंही रहियत है हो हरि। और तौ अचरचे पाई धरौ, सो तौ कहो कौन के पैड़ भरि॥