हम अपनी शाम को जब नज़र ए जाम करते हैं – Nusrat Fateh Ali Khan

…रोज़ तौबा को तोड़ता हूं मैं, रोज़ नीयत ख़राब होती है…

…हम पियें तो सवाब बनती है

हम अपनी शाम को जब नज़र-ए-जाम करते हैं

अदब से हमको सितारें सलाम करते हैं

गले लगाते हैं दुशमन को भी सरूर में हम

बहुत बुरें हैं मगर नेक काम करते हैं… 




blog comments powered by Disqus



Peacock kolam rangoli design in coloured chalk