Sri Banke Bihari ji ke sawaiya, 13 of 144
१३. आपकी ओर की चाहैं लिखी, लिखि जात कथा उत मोहन ओर की । प्यारी दया करि वेगि मिलो, सहिजात व्यथा नहि मैंनमरोर की ॥ आपुहिं बाँचत अंग लगाबति, है किन आनी चिठी चितचोर की । राधिका मौन रही धरि ध्यान सो, है गई मूरति नन्दकिसोर की ॥ More