हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम

लंका की ओर जाते समय हनुमान्‌जी को मैनाक पर्वत ने थोड़ी देर अपने ऊपर विश्राम करने का आमंत्रण दिया | भक्ति और कर्मनिष्ठा से भरे हुए हनुमान जी ने पर्वत को हाथ से छू कर प्रणाम किया और कहा- श्री रामचंद्रजी का काम किए बिना मुझे विश्राम कहाँ?

20 April, 2021

मंगल मूरति, मारुति नंदन सकल अमंगल मूल निकंदन

मंगल मूरति, मारुति नंदनसकल अमंगल मूल निकंदन पवन तनय, संतन हितकारी हृदय विराजत अवध बिहारीमंगल मूरति, मारुति नंदनमात पिता, गुरु, गणपति, सारदशिवा समेत शंभु, शुक, नारदमंगल मूरति, मारुति नंदनचरण कमल बंदौ सब काहू देहु राम पद नेह निबाहूमंगल मूरति, मारुति

20 November, 2018



    I see God