Sri Banke Bihari ji ke sawaiya, 15 of 144
This sawaiya verse from Vraj says: Why do you call a physician to take care of my illness? How can I live without seeing the sweet smile of Krishna? You are taking trouble to mix herbs for medicine;
This sawaiya verse from Vraj says: Why do you call a physician to take care of my illness? How can I live without seeing the sweet smile of Krishna? You are taking trouble to mix herbs for medicine;
१४. मेरो स्वभाव चितैवे को माई री, लाल निहारि कै बंसी बजाई । बा दिन सों मोहिं लागो ठगौरी सी लोग कहैं लखि बाबरी आई ॥ यों ‘रसखानि’ घिरी सिगरो ब्रज जानत है जिय की जियराई । जो कोऊ चाहै भली अपनो, तो सनेह न काहूसों कीजियो माई ॥ In this
१३. आपकी ओर की चाहैं लिखी, लिखि जात कथा उत मोहन ओर की । प्यारी दया करि वेगि मिलो, सहिजात व्यथा नहि मैंनमरोर की ॥ आपुहिं बाँचत अंग लगाबति, है किन आनी चिठी चितचोर की । राधिका मौन रही धरि ध्यान सो, है गई मूरति नन्दकिसोर की ॥ More
१२. एक सखी घर सो निकसी, मानो चंदहि देन चली उपमा सी । कोऊ कहै यह काहू की नगरि, कोऊ कहै यह काहू की दासी ॥ मारग बीच मिले नंदनंदन, दै दई कूक मचाय के हाँसी । घूँघट को पट खैंच लियो, तब दोज की हो गई पूरनमासी ॥ This sawaiya verse from
नवनीत गुलाब से कोमल है ‘हठी’ कंज को मंजुलता इन में । गुललाला गुलाल प्रबाल जपा छबि ऐसी न देखी ललाइन में ॥ मुनि मानस मंदिर मध्य बसैं बस होत हैं सूधे सुभाइन में । रहु रे मन तू चित चाहन सों वृषभानु कुमारी के पाइन में ॥ This sawaiya verse from
१०. प्रेम पगे जु रँगे रँग साँवरे, माने मनाये न लालची नैना । धावत है उत ही जित मोहन रोके रुकै नहिं घूघट ऐना ॥ कानन को कल नाहिं परै बिन प्रीति में भीजे सुने मृदु बैना । ‘रसखान’ भई मधु की मखियाँ अब नेह को बंधन क्यों हूँ छुटेना ॥ Bhakti
सोनजुही की बनी पगिया औ चमेली को गुच्छ रह्यो झुक न्यारो । द्वै दल फूल कदम्ब के कुण्डल, सेवती जामा है घूम घुमारो ॥
सारी सँवारी है सोन जुही की, चमेली की तापे लगाई किनारी । पंकज के दल को लहंगा, अँगिया गुलबाँस की शोभित न्यारी ॥
बनराज निकुन्ज निवासी बनैं, यमराज समाज समावे समाधा । छवि छैल ‘छबीले’ की जीवनज्योति, जपै जब कीरतनंदनी राधा ॥ More sawaiya verses
छवि छैल ‘छबीले’ रँगीले लसै, ब्रजवासिन कारज साधिका के । नन्दनन्दन वन्दत आनन्दसों, पद पंकज वन्दत राधिका के ॥ A Bhakti poet named Chabeele has written these sawaiya verses in praise of Sri Krishna and Radhika.