Sri Banke Bihari ke sawaiya, 28 of 144
२८. बैठी हती गुरु लोगन में मन ते मनमोहन को न विसारति। त्यों नन्दलाल जू आय गये बन ते सिर मोरन पंख संवारत॥ लाज ते पीठ दै बैठि बहू, पति मातु की आंख ते आंखिन टारति। सासु की नैंन की पूतरी में निज प्रीतम को प्रतिबिम्ब निहारति॥ This sawaiya verse