Ram bhajan, Sooraj ki garmi se jalte huye tan ko mil jaaye taruvar ki chhayaa
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम सूरज की गर्मी से जलते हुये तन को मिल जाये तरुवर की छाया शीतल बने आग चंदन के जैसी राघव कृपा हो जो तेरी उजियाली पूनम की हो जायें रातें जो थी अमावस अंधेरी युग युग से प्यासी मरु