Swami Sri Haridas’s Ashtadas Sidhant, Verse 6, Ragani Aasavari
॥ रागनी आसावरी ॥
वंदे अख्त्यार भला।
चित न डुलाव आव समाधि भीतर न होहु अगला॥
न फिर दर दर पिदर दर न होअहु अंधला।
कहें श्री हरिदास करता कीया सो हुआ सुमेरू अचल चला॥६॥
॥ रागनी आसावरी ॥
वंदे अख्त्यार भला।
चित न डुलाव आव समाधि भीतर न होहु अगला॥
न फिर दर दर पिदर दर न होअहु अंधला।
कहें श्री हरिदास करता कीया सो हुआ सुमेरू अचल चला॥६॥