Sri Banke Bihari ji ke sawaiya, 4 of 144 18. August 2009 Music, India, Yoga (2) ४. जगनाथ अनाथन नाथ सदाँ, करुणानिधि आनंदकारी की जै जै । कलिशूल अघारि अदैत्य सखा, तृय ताप विनाशनहारी की जै जै ॥ द्विज देब अराध्य चराचर के, परमेश्वर हो सुखकारी की जै जै । जै जै ‘छबीले’ रँगीले रसीले की, बोलो श्रीबाँकेबिहारी की जै जै ॥