Sri Banke Bihari ji ke sawaiya, 35 of 144
३५.
मन में बसी बस चाह यही प्रिय नाम तुम्हारा उचारा करूं।
बिठला के तुम्हें मन मंदिर में मन मोहन रूप निहारा करूं॥
भर के दृग पात्र में प्रेम का जल पद पंकज नाथ पखारा करूं।
बन प्रेम पुजारी तुम्हारा प्रभो नित आरती भव्य उतारा करूं॥