यदि आपके जीवन में सांसारिक विषय भोगों तथा माया-मोह का बोलबाला नहीं है तो अवश्य ही आप संसार को प्रभावित करने की क्षमता प्राप्त कर लेंगे। - अपने दृष्टि-बिन्दु को एकदम बदल डालिये। हर एक चीज़ को ईश्वर रूप, ब्रह्म्रूप समझिये। ईश्वर और सृष्टि का जो संबन्ध है, वही आपका और संसार का संबन्ध होना चाहिये – पूर्ण परिवर्तन।
- उन्नति के लिये वायुमंडल तैयार होता है सेवा और प्रेम से, न कि विधि नेषेधात्मक आज्ञाओं और आदेशों से।
- आत्म भाव के क्षण वे हैं जब सांसारिक रिश्तों, सांसारिक सम्पत्ति, सांसारिक विषय वासना और आवश्यकता के विचार, एक ईश्वर के भाव में, एक सत्य में लीन हो जाते हैं।
- शरीर से ऊपर उठो, अपने इस व्यक्तित्व भाव को, अपने क्षुद्र अहंकार को जला दो, नष्ट कर दो, फूंक डालो – तब आप देखेंगे कि आप की इच्छायें सफल हो रही हैं।
- राम (स्वामी रामतीर्थ), भगवान बुद्ध, हज़रत मुहम्मद, प्रभु ईसा मसीह अथवा अन्य पैग़म्बरों के समान लाखों, करोड़ों अनुनायी नहीं बनाना चाहता। वह तो हर एक स्त्री, हर एक बच्चे में राम का ही प्रादुर्भाव करना चाहता है। उसके शरीर को, उसके व्यक्तित्व को कुचल डालो, रौंद डालो, पर सच्चिदानन्द आत्मा का अनुभव करो। यही राम की सेवा पूजा है।
- विश्वास की शक्ति ही जीवन है।
~ स्वामी रामतीर्थ (1876 से 1906)