Art of Living teachers Anagha and Krishna Marathe singing Wahe Guru.
Many thanks for memorable, musical evenings at The Art of Living International Center in TTC 2010 :)
जित बिठ्लावे तित ही बैठूं, जो पहरावे सोई सोई पहरूं
मेरी उनकी प्रात पुरानी, बेचे तो बिक जाऊं
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविंद, गुरु मेरो प्राणधन, गुरु भगवंत,
गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत
१. गुरु बिन जीवन अलख अंधेरो, सर्व-पूज्य शरण गुरु तेरो
२. गुरु के दर्शन देख देख जीवां, गुरु के चरण धोय धोय पीवां
३. गुरु मेरा ज्ञान, गुरु मेरा ध्यान, गुरु गोपाल, पूरण भगवान
मेरे गिनियो ना अपराध, लाड़ली श्री राधे
मेरे गिनियो ना अपराध किशोरी श्री राधे
१. जो तुम मेरे अवगुन देखो, तो नाही कोई गुण हिसाब, लाड़ली श्री राधे
२. अष्ट सखी और कोटि गोपिन में, उनकी दासी को दासी मैं, लाड़ली श्री राधे
वहीं लिख लीजो मेरो नाम, लाड़ली श्री राधे
३. माना कि मैं पतित बहुत हूं, हौ पतित पावन तेरो नाम, लाड़ली श्री राधे
किशोरी मेरी श्री राधे, लाड़ली श्री राधे, स्वामिनी श्री राधे
Feeling grateful for the oral traditions of India :) My heritage.
खेलें मशाने में होली, दिगंबर…
गोप न गोपी, श्याम न राधा
न कोई रोक न कौनो बाधा
न साजन न गोरी
Sung by Rishi Nityapragya, a senior teacher of The Art of Living. The song was composed by Saint Kabir, and made popular by Kailash Kher.