Swami Sri Hariadas’s Ashtadash Sidhant, Verse 4, Raga Vibhas
श्री कुंजविहारिणे नमः
॥राग विभास॥
हरि भज हरि भज, छांडि न मान नर तन कौ।
मति वंछै मति वंछै रे, तिल तिल धन कौ।
अन मांग्यौ आगै आवेंगो, ज्यों पल पल लागै पल कौ।
कहें श्री हरिदास मीच ज्यों आवे, ज्यों धन है आपन कौ॥४॥