Sri Banke Bihari ji ke sawaiya, 40 of 144
४०.
संकर से मुनि जाहि रटैं चतुरानन चारों ही आनन गावैं।
जो हिय नेक ही आवत ही मति मूढ़ महा ‘रसखान’ कहावैं॥
जापर देवी ओ देब निह्हरत बारत प्राण न वेर लगावैं।
ताहि अहीर की छोहर्या छछिया भर छाछ पै नाच नचावैं॥
४०.
संकर से मुनि जाहि रटैं चतुरानन चारों ही आनन गावैं।
जो हिय नेक ही आवत ही मति मूढ़ महा ‘रसखान’ कहावैं॥
जापर देवी ओ देब निह्हरत बारत प्राण न वेर लगावैं।
ताहि अहीर की छोहर्या छछिया भर छाछ पै नाच नचावैं॥