Sukhmani Sahib, Hindi text 2
असटपदी
सिमरउ सिमिरि सिमिरि सुखु पावउ ॥
कलि कलेस तन माहि मिटावउ ॥
सिमरउ जासु बिसुंभर एकै ॥
नामु जपत अगनत अनेकै ॥
बेद पुरान सिंम्रिति सुध्याखर ॥
किनका एक जिसु जीअ बसावै ॥
ता की महिमा गनी न आवै ॥
कांखी एकै दरस तुहारो ॥
नानक उन संगि मोहि उधारो ॥
सुखमनी सुख अंम्रित प्रभ नामु ॥
भगत जना कै मनि बिस्राम रहाउ ॥
प्रभ कै सिमरनि गरभि न बसै ॥
प्रभ कै सिमरनि दूखु जमु नसै ॥
प्रभ कै सिमरनि कालु परहरै ॥
प्रभ कै सिमरनि दुसमनु टरै ॥
प्रभ सिमरत कछु बिघनु न लागै ॥
प्रभ कै सिमरनि अनदिनु जागै ॥
प्रभ कै सिमरनि भउ न बिआपै ॥
प्रभ कै सिमरनि दुखु न संतापै ॥
प्रभ का सिमरनु साध कै संगि ॥
सरब निधान नानक हरि रंगि ॥
॥ २. ॥