ये जगत मिथ्या है, ये जानने के बाद भी छूटता क्यों नहीं। इसे छोड़ने का तरीका क्या है ?

sri sri ravi shankar answers

प्रश्न: कोई चीज़ मिथ्या हो तो उसे छोड़ना कठिन नहीं होता। ये जगत मिथ्या है ये जानने के बाद भी छूटता क्यों नहीं। इसे छोड़ने का तरीका क्या है ?
श्री श्री: अरे ! भगवान ने नहीं छोड़ा तो तुम क्यों छोड़ रहे हो। भगवान का अनुकरण करते हो तो छोड़ने की चेष्टा क्यों करते हो। न पक���ने की चेष्टा करो, न छोड़ने की। सेवा करो। दुनिया है तो ये काम करने के लिए है। जबकि हम दुनिया की निंदा करते हैं। निंदा करने से तुम आगे नही बढ़ पाओगे। भगवान कृष्ण गीता में कहते हैं कि ये सृष्टि मेरी है, मेरी अपनी माया है ये, और मेरी कृपा से ही तरोगे। और तरने के लिए ही तो ये सब योगाभ्यास, ध्यान, साधना आदि हैं। ये सब अंतर्मुखी होने के लिए हैं। सेवा करने से आनंद मिलता है, और अगर समाज को पकड़ के कुछ चाहते हो तो दुःख मिलता है।

Nitin



blog comments powered by Disqus



The Living Liberated Man