Raga Bhoop, Art of Living bhajan, Hari sunder nand mukunda
Composed by Dr Manikanthan
22 January, 2012
Composed by Dr Manikanthan
मत जा, मत जा, मत जा जोगी पांव परूंगी मैं तेरे, जोगी मत जा, मत जा, मत जा प्रेम भक्ति को * न्यारो, हमको गल बता जा, मत जा, मत जा अगर चंदन की चिता रचाई, अपने हाथ जला जा, जोगी मत जा, मत जा, मत जा * भई भस्म की ढेरी, अपने अंग लगा जा, जोगी मत जा,
Hindi Lyrics for this song in Raga Bhimpalasi by eminent Classical Indian singer Ashwini Bhide Deshpande जा जा रे अपने मंदिरवा सुन पावे मोरी सास ननदिया
Raga bassant by Pandit Jasraj. और राग सब बने बराती, दूल्हा राग बसंत मदन महोत्सव आज सखी री अब, विदा भयो हेमंत Celebrating spring!
चलो सखी सौतन के घर जइहें मान घटे तो का घट जइहे, पी के दर्सन पइहें
Ustad Bade Ghulam Khan Saheb singing in Raga Bageshree: Kolkata, 1963