Sukhmani Sahib, Hindi text 2
असटपदी सिमरउ सिमिरि सिमिरि सुखु पावउ ॥ कलि कलेस तन माहि मिटावउ ॥ सिमरउ जासु बिसुंभर एकै ॥ नामु जपत अगनत अनेकै ॥ बेद पुरान सिंम्रिति सुध्याखर ॥ किनका एक जिसु जीअ बसावै ॥ ता की महिमा गनी न आवै ॥ कांखी एकै दरस तुहारो ॥ नानक उन संगि मोहि
27 January, 2010