Sri Banke Bihari ji ke sawaiya, 27 of 144
छाई कछू हरू आई शरीर में नीर में आई कछू गरुआई। नागरी की नित की जो सधी साई गागरी आज उठ न उठाई॥
09 April, 2010
छाई कछू हरू आई शरीर में नीर में आई कछू गरुआई। नागरी की नित की जो सधी साई गागरी आज उठ न उठाई॥
आननचन्द सु मन्द हंसी ‘रतनाकर’ माल हिये लहरावत । देखि सखी वह मैन लजावत सांवरो बेनु बजावत आवत ॥ Krishna in Vrindavan :-)
When Radha was annoyed with Krishna, Krishna bowed at her feet requesting her for truce. He didn’t really know how to please her. Neither did Radha really know how to show anger, observes the poet.