Hari Sundar Nand Mukunda – Art of Living bhajan by Rishi Nityapragya

Lyrics of bhajan: Hari Sundar Mukunda, Hari Narayan Om हरि सुंदर नंद मुकुंदा हरि नारायण ॐ हरि केशव, हरि गोविंदा, हरि नारायण हरि ॐ वनमाली, मुरली धारी, गोवर्धन गिरिवर धारी नित नित कर माखन चोरी, गोपी मन भाये

31 May, 2010


Sri Banke Bihari ke sawaiya, 34 of 144, वे तो लली वृषभान लली की गली के गुलाम हैं

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Sawaiya verses are part of the rich literary heritage of Braj (Mathura-Vrindavan). They are dramatised in raslila performances. ३४. द्वार के द्वारिया पौरि के पौरिया पाहरुवा घर के घनश्याम हैं। दास के दास सखीन के सेवक पार परोसिन के धन धाम हैं॥

19 May, 2010


Sri Banke Bihari ji ke sawaiya, 27 of 144

छाई कछू हरू आई शरीर में नीर में आई कछू गरुआई। नागरी की नित की जो सधी साई गागरी आज उठ न उठाई॥

09 April, 2010





Hindi bhajan lyrics, Sumiran karo aadi Bhavani ka

सुमिरन करो आदि भवानी का, सुमिरन करो आदि भवानी का पहला सुमिरन गणपति देवा, और रिद्धि सिद्धि महारानी का सुमिरन करो आदि भवानी का, सुमिरन करो आदि भवानी का दूसरा सुमिरन शंकर जी का, और गौरा महारानी का सुमिरन करो आदि भवानी का, सुमिरन करो आदि भवानी का

03 April, 2010



Intense silence program at the Art of Living International Center, Bangalore