झूला धीरे से झुलावो बनवारी, अरे सांवरिया|
झूला झूलत मोरा जियरा डरत है,
लचके कदमिया की डारी, अरे सांवरिया|
अगल बगल दुई सखियां झूलत हैं,
बीच में झूलें राधा प्यारी, अरे सांवरिया|
This beautiful folk song from Vrindavan, thousands of years old, mentions the Kadam tree which was once in abundance in Vraj. The swing mentioned in this song is on a Kadam tree, which in the rainy season is laden with round, deep yellow ball like flowers. The fruit is eaten. It was also a natural ball used for playing ball games by Krishna and friends.
This big shady tree with large leaves and millions of yellow golden balls is a pretty sight by itself on Indian roads again, thanks to the forest department’s tree planting drive in recent years.
राधा कृष्ण की दासिनी, कृष्ण राधा को दास
जनम प्रभु सभी को दीजिये वृन्दावन को वास
श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी
दिन नहीं चैन, रैन नहीं निंदिया
सुन तोरी मुरलिया, मैं मर जाउंगी
श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी
अईले कन्हैया, रे अईले कन्हैया
नंद बाबा घर अईले कन्हैया
देवकी ने जाये लाल, जशोदा ने पाये
सोये पहराउ लेके वसुदेव आये
जसोदा से नेग खातिर झगरे नौनिया
नंद बाबा घर अईले कन्हैया
Art of Living teachers Anagha and Krishna Marathe singing Wahe Guru.
Many thanks for memorable, musical evenings at The Art of Living International Center in TTC 2010 :)
हरा रंग डारो, गुलाबी रंग डारो, बसंती बचा के
१. तुम तो कान्हा बड़े नटखट हो, मेरा गजरा बचा के, मेरी बिंदिया बचा के
हरा रंग डारो…
२. तुम तो कान्हा कहा नहीं मानो, मेरी चूड़ियां बचा के, मेरी मेंहदी बचा के
हरा रंग डारो…
३. तुम तो कान्हा बड़े रंग रसिया, मेरा हरवा बचा के, मेरी चुनरी बचा के
हरा रंग डारो…
४. तुम तो कान्हा बड़े हरजाई, मेरी पायल बचा के, मेरा बिछुआ बचा के
हरा रंग डारो
तुम कहां छुपे भगवन हो, मधुसूदन हो, मोहन हो,
कहां ढूंढू रमा रमन हो, मेरे प्यारे मनमोहन हो
क्या छुपे क्षीरसागर में, या गोपिन की गागर में,
या छुपे भक्त-हृदय में, मेरे प्यारे मनमोहन हो
हो सांवरी सूरत वाले, इक बार दिखा दे झांकी,
है कसम तुम्हें राधा की, मेरे प्यारे मनमोहन हो
मेरे हृदय कुंज में आओ, बस आओ तो बस जाओ
आओ तो छुप जाओ, यहां प्रेम सुधा बरसाओ
यहां प्रेम सुधा बरसाओ, मेरे प्यारे मनमोहन हो
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
निर्मल नीर बहत यमुना को, भोजन दूध दही को,
सखी सी मोहे लागे वृन्दावन नीको
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
रतन सिंहासन आप विराजे, मुकुट धरे तुलसी को
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
कुंजन कुंजन फिरत राधिका, शब्द सुनत मुरली को
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, भजन बिना नर फीको
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
In this bhajan, Meera Bai sings and tells her friends that she loves Vrindavan. The clear waters of Yamuna flow through Vrindavan. There is an abundance of milk and ghee for food. Krishna is sitting on an ornate chair with a crown of tulsi (Holy Basil) leaves on his forehead. Radhika is going from one garden to another in search of Krishna. Meera says that there is no enjoyment in a human life like the one that is in devotion.
Krishna bhajan by unknown artist
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
सब देवों में देव बड़े हैं, श्याम बिहारी नंदा
भजो रे मन गोविंदा
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
सब सखियों में राधा बड़ी हैं, जैसे तारों में चंदा More...