और महीनवा मा बरसे ना बरसे, फगुनवा मा रंग रच रच बरसे|
अरे फागुन को एसो गुन
महल मढ़ई दूनों एक होई जायें
और राजा और रंक दूनों मिल कर गायें|
क्या?
फगुनवा मा रंग रच रच बरसे...
अरे बाग वाली भीजे, बगेचा वाली भीजे
उहों भीज गईली जो निकली ना घर से
फगुनवा मा रंग रच रच बरसे...
लरिका भी भीज लीं, मेहरारू भी भीज लीं,
मेहरारू भी भीज लीं, परानिवा भी भीज लीं,
उहों भीज लईली जो अस्सी बरस की
फगुनवा मा रंग रच रच बरसे...
अम्मा मेरे बाबा को भेजो री, के सावन आया,
बेटी तेरा बाबा तो बूढ़ा री, के सावन आया,
अम्मा मेरे भैया को भेजो री, के सावन आया,
बेटी तेरा भैया तो बाला री, के सावन आया |
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नन्ही नन्ही बूंदे रे, सावन का मेरा झूलना,
एक झूला डाला मैंने अम्मा जी के राज में,
एक झूला डाला मैंने बाबाजी के राज में,
हरी हरी मेहंदी रे, सावन का मेरा झूलना,
हरी हरी चुनरी रे, सावन का मेरा झूलना|
This is a medley of Kajari/Savan folk songs sung by women in Uttar Pradesh in Bihar in India. It is sung here by Padmashree Malini Awasthi ji.
अवध में बाजे बधईया, कौसल्या के ललना भये
नौमी तिथि, अति सीत न घामा, कौसल्या के ललना भये
राम जी के भईले जनमवा, चलहौ करि आई दरसनवा
रानी कौसल्या पलना झुलावै, देखि के बिहसै बदलवा
चलहौ करि आई दरसनवा...
राम जी के भईले जनमवा, चलहौ करि आई दरसनवा
This is a beautiful traditional folk song from Ayodhya (Awadh) and Varanasi in India. It belongs to the category of songs called ‘Sohar’. They are sung to celebrate the birth of a child in the family. Srimati Malini Awasthi has sung this song for a TV show.
Welcome to an evening in Lucknow with Padmashree Madhup Mudgal ji singing songs first sung by Kabir Das ji.
Sant Gadge Auditorium, Vipin Khand, Gomtinagar, Opposite Fun Mall,
Lucknow, Uttar Pradesh
226010
India
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको मोरे राम गाड़ीवाले, जरा हल्के गाड़ी हांको मोरे राम गाड़ीवाले
या गाड़ी म्हारी रंग रंगीली, पहिया लाल गुलाल
फागुन वालो छैल छबीलो और बैठन वाले दाम
जरा हल्के गाड़ी हांको मोरे राम गाड़ीवाले
देस देस का वैद बुलाया, लाया जड़ी और बूटी
जड़ी़ और बूटी कुछ काम ना आई, जब राम के घर टूटी
चार कहार मिलि उठायो, दुई काठ की जोड़ी
लई जा मरघट पे रख दई और फूंक दीए जस होली
जरा हल्के गाड़ी हांको मोरे राम गाड़ीवाले
The poem is written by Saint Kabir who was born in Varanasi.
चढ़इल चैत चित लागे न बाबा के भवनवा
बीर बमनवा सगुन बिचारो
कब हुइहैं पिया से मिलनवा
चढ़इल चैत चित लागे न बाबा के भवनवा
Chaiti is a folk genre in Indian music from Uttar Pradesh, Bihar.
A Kajari song from Mirzapur by Malini Awasthi. It is sung in the rainy season, especially on Kajali Teej festival at Vindhyavasini Devi temple, Mirzapur, Uttar Pradesh, India.
अरे रामा सावन मा घनघोर बदरिया छाई रे हारी
घन उमड़ घुमड़ के छाये, उत कजारे घन छाये रे रामा
अरे रामा झींगुर की छनकारि, पिया को लागे प्यारी रे हारी
झूला पड़ा कदम की डारि, झूलें ब्रिज के नर नारि
अरे रामा पेंग बढ़ावे राधा प्यारी, पिया को लागे प्यारी रे हारी
अरे रामा सावन मा घनघोर बदरिया छाई रे हारी
बदरिया छाई रे हारी