Hindi Lyrics for this song in Raga Bhimpalasi by eminent Classical Indian singer Ashwini Bhide Deshpande
जा जा रे अपने मंदिरवा
सुन पावे मोरी सास ननदिया
सुनहु सदारत तुमको चाहत है
क्या तुम हमको ठगन दिया
जा जा रे अपने मंदिरवा
सुन पावे मोरी सास ननदिया
और राग सब बने बराती, दूल्हा राग बसंत
मदन महोत्सव आज सखी री अब, विदा भयो हेमंत
सहचर गान करत ऊंचे स्वर, कोकिल बोले असंख्य
गावत नारी पंचम स्वर ऊंचे स्वर, ऐसो गीत अनंत
कृष्ण दास स्वामिन बड़भागिन, मिल्यो है भावतो…
चलो सखी सौतन के घर जइहें
मान घटे तो का घट जइहे, पी के दर्सन पइहें
ये जोवन अंजुरी को पानी, समो गये पछ्तैये
प्रभु दरश परस कर मन की तपत बुझइहें
चलो सखी सौतन के घर जइहें
मान घटे तो का घट जइहे, पी के दर्सन पइहें
Kasturee tilakm lalat patale, vaksha-sthale kaustubham,
Nasagre-var mauktikam kar-tale venu kare kankanam.
Sarvange Hari chandanam sulalitam, kanthe cha muktavali
Gop-stree pariveshthito vijayate Gopal churaamani…
A beautiful Krishna bhajan from movie Narsi Bhagat (1957), sung by Hemant Kumar, Sudha Malhotra and Manna Dey. Music is by Ravi.
Narsi Mehta’s favourite raga was Kedar, which he used to communicate with Krishna.
Lyrics
दर्शन दो घनश्याम, नाथ मोरी अंखियां प्यासी रे
मन मंदिर की ज्योति जगा दो घट घट वासी रे
दर्शन दो घनश्याम, नाथ मोरी अंखियां प्यासी रे
मंदिर मंदिर मूरत तेरी
फिर भी ना दीखे सूरत तेरी
युग बीते, ना आई मिलन की पूरनमासी रे
दर्शन दो घनश्याम, नाथ मोरी अंखियां प्यासी रे
द्वार दया का जब तू खोले
पंचम स्वर में गूंगा बोले
अंधा देखे, लंगड़ा चल कर पंहुचे काशी रे
दर्शन दो घनश्याम, नाथ मोरी अंखियां प्यासी रे
पानी पी कर प्यास बुझाऊं
नैनों को कैसे समझाऊं
आंख मिचौली छोड़ो अब तो
मन के वासी रे
दर्शन दो घनश्याम, नाथ मोरी अंखियां प्यासी रे
Raga Bhairav, Pandit Jasraj
Ustad Barkat Ali Khan has left a lasting impression on various genres of Hindustani light classical music. He was younger brother of Ustad Bade Ghulam Ali Khan.