तेरे मंदिर में आना मेरा काम है, मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है
मेरे सिर को झुकाना मेरा काम है, मेरे सिर को उठाना तेरा काम है
मैंने मन को तो मंदिर बना ही लिया, इस मंदिर में बसना तेरा काम है
मैंने तुझको तो अपना बना ही लिया, मुझे अपना बनाना तेरा काम है
Sri Ram Charitmanas written by Goswami Tulsidas is very much a part of the oral tradition in India. This is a beautiful rendition of the end of Kishkindha Kand and the whole of Sunder Kand by Shri Ashwinkumar Pathak ji. English transcript is also given in the video.
तुम कहां छुपे भगवन हो, मधुसूदन हो, मोहन हो,
कहां ढूंढू रमा रमन हो, मेरे प्यारे मनमोहन हो
क्या छुपे क्षीरसागर में, या गोपिन की गागर में,
या छुपे भक्त-हृदय में, मेरे प्यारे मनमोहन हो
हो सांवरी सूरत वाले, इक बार दिखा दे झांकी,
है कसम तुम्हें राधा की, मेरे प्यारे मनमोहन हो
मेरे हृदय कुंज में आओ, बस आओ तो बस जाओ
आओ तो छुप जाओ, यहां प्रेम सुधा बरसाओ
यहां प्रेम सुधा बरसाओ, मेरे प्यारे मनमोहन हो
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
निर्मल नीर बहत यमुना को, भोजन दूध दही को,
सखी सी मोहे लागे वृन्दावन नीको
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
रतन सिंहासन आप विराजे, मुकुट धरे तुलसी को
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
कुंजन कुंजन फिरत राधिका, शब्द सुनत मुरली को
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, भजन बिना नर फीको
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
In this bhajan, Meera Bai sings and tells her friends that she loves Vrindavan. The clear waters of Yamuna flow through Vrindavan. There is an abundance of milk and ghee for food. Krishna is sitting on an ornate chair with a crown of tulsi (Holy Basil) leaves on his forehead. Radhika is going from one garden to another in search of Krishna. Meera says that there is no enjoyment in a human life like the one that is in devotion.
रंग मैं होरी कैसे खेलूंगी जा सांवरिया के संग
कोरे कोरे कलस मंगाये, वा मे घोला रंग, भर पिचकारी सम्मुख मारी, चोली हो गई तंग
रंग मैं होरी कैसे…
तबला बाजे, सरंगी बाजे, और बाजे मिरदंग, कान्हा जी की मुरली बाजे, राधा जी के संग
रंग मैं होरी कैसे…
इत ते आई राधा प्यारी सब सखियन के संग, उत ते आये कुंवर कन्हाई ग्वाल बाल के संग
रंग मैं होरी कैसे…
अबीर उड़त, गुलाल उड़त, उड़ते सातों रंग, भर पिचकारी सम्मुख मारी, भीज गयो सब अंग
रंग मैं होरी कैसे…
बरसाने से रंग मंगाया, नंदगांव से भंग, सांवरिया संग ऐसी नाची देखत रह गये दंग
रंग मैं होरी कैसे…
उत मत जा, ठाड़ो मुकुटवारो उत मत जा…
द्वारपाल सब सखा साथ में, घूम रह्यो मतवारो रे, उत मत जा…
अबीर-गुलाल के बादल छाये, उड़ रह्यो रंग टेसुवा रे, उत मत जा…
जाइत रोकत ताके नवेली, तक पिचकारी श्याम मारी, उत मत जा…
मैके गई सौभाग्यवती रे, रमण पिया मोहे रंग डारो, उत मत जा…
This song depicts a scene from the festival of Holi in Vrindavan, India:
There are clouds of colours all around. Krishna is playing Holi very enthusiastically, colouring anyone who comes his way! He looks out for the gopis and sprays them with colour. A Gopi is a master of the path of devotion, according to Narad Bhakti Sutra and other scriptures.
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
वस्तु अमौलिक दी मेरे सतगुरु, किरपा करि अपनायो
पायो जी मैने…
जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो
पायो जी मैने…
खर्च ना खूटे वाको चोर ना लूटे, दिन दिन बढ़त सवायो
पायो जी मैने…
सत की नांव, खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो
पायो जी मैने…
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरख हरख जस गायो
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
Saint Meera Bai says: My Guru has given me the most invaluable treasure. God belongs to me, and I laugh and sing God’s praise.