चढ़इल चैत चित लागे न बाबा के भवनवा
बीर बमनवा सगुन बिचारो
कब हुइहैं पिया से मिलनवा
चढ़इल चैत चित लागे न बाबा के भवनवा
Chaiti is a folk genre in Indian music from Uttar Pradesh, Bihar.
A Kajari song from Mirzapur by Malini Awasthi. It is sung in the rainy season, especially on Kajali Teej festival at Vindhyavasini Devi temple, Mirzapur, Uttar Pradesh, India.
अरे रामा सावन मा घनघोर बदरिया छाई रे हारी
घन उमड़ घुमड़ के छाये, उत कजारे घन छाये रे रामा
अरे रामा झींगुर की छनकारि, पिया को लागे प्यारी रे हारी
झूला पड़ा कदम की डारि, झूलें ब्रिज के नर नारि
अरे रामा पेंग बढ़ावे राधा प्यारी, पिया को लागे प्यारी रे हारी
अरे रामा सावन मा घनघोर बदरिया छाई रे हारी
बदरिया छाई रे हारी
बाबा निमिया के पेड़ जिनि काटियो रे, निमिया पे चिरैया के बसेरे,
बलैंया लेहुं भैया के
बाबा सगरी चिरैया उड़ि जैहे
रहि जइ निमिया अकेलि
बलैया लेहुं भैया के
बाबा सगरी बिटिया घरि चले जइहे
माई रहि जाये अकेलि
बलैया लेहुं भैया की
राधा कृष्ण की दासिनी, कृष्ण राधा को दास
जनम प्रभु सभी को दीजिये वृन्दावन को वास
श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी
दिन नहीं चैन, रैन नहीं निंदिया
सुन तोरी मुरलिया, मैं मर जाउंगी
श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी
अईले कन्हैया, रे अईले कन्हैया
नंद बाबा घर अईले कन्हैया
देवकी ने जाये लाल, जशोदा ने पाये
सोये पहराउ लेके वसुदेव आये
जसोदा से नेग खातिर झगरे नौनिया
नंद बाबा घर अईले कन्हैया
रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे, मोहे मारे नजरिया सांवरिया रे
पहनी सारी गुलाबी चुनरिया, मोहे मारे नजरिया सांवरिया रे
जावो जी जावो, करो ना बतियां
अजी बाली है मोरी उमरिया रे, मोहे मारे नजरिया सांवरिया रे, रंगी सारी…
बीत चुकी है सारी रतिया, अभी लौटे नहीं हैं सांवरिया रे, मोहे मारे…
राति हम देखीले सपनवा, हो रामा, पिया घर अईले
इक छन बीतल, बोलत…
हाथ खियावत पनवा, हो रामा, पिया घर अईले
शामदास चाहे गरवा लगावन,
खुल गईल पलक नयनवा, हो रामा, पिया घर अईले
Chaiti is folk genre, sung in March, the month of Chaitra, and is about love and longing. Malini Awasthi is a student of epic singer Srimati Girija Devi who is a master of Chaiti and Kajari.
मिर्जापुर भईल गुल्जार हो, कचोड़ी गली सून कईला बलमू
सेजिया पे लोटे काला नाग हो, कचोड़ी गली सून कईला बलमू
एही मिर्जापुर से उड़्ले जहजिया हो गुइया,
सैया चले गईले रंगून हो, कचोड़ी गली सून कईला बलमू
पनवा से पातर भईल तोर धनिया,
देहिया कलेला जैसे नून हो, कचोड़ी गली सून कईला बलमू
हाथवा मे होत जो हमरे कटरिया,
बहा देती गोरवन के खून हो, कचोड़ी गली सून कईला बलमू
This song by Malini Awasthi is about missing the beloved.