झूला धीरे से झुलावो बनवारी, अरे सांवरिया|
झूला झूलत मोरा जियरा डरत है,
लचके कदमिया की डारी, अरे सांवरिया|
अगल बगल दुई सखियां झूलत हैं,
बीच में झूलें राधा प्यारी, अरे सांवरिया|
This beautiful folk song from Vrindavan, thousands of years old, mentions the Kadam tree which was once in abundance in Vraj. The swing mentioned in this song is on a Kadam tree, which in the rainy season is laden with round, deep yellow ball like flowers. The fruit is eaten. It was also a natural ball used for playing ball games by Krishna and friends.
This big shady tree with large leaves and millions of yellow golden balls is a pretty sight by itself on Indian roads again, thanks to the forest department’s tree planting drive in recent years.
राजा दसरथ जी के घरवा, आज जनमें ललनवा
जनमें ललनवा, जी जनमें ललनवा,
राजा दसरथ जी के घरवा, आज जनमें ललनवा |
राजा दसरथ मोहर लुटावें, सोना लुटावें
अरु लुटावें देखो गैया,
आज जनमें ललनवा
राजा दसरथ जी के घरवा, आज जनमें ललनवा
पण्डित आवें, रसिया बिचारें
जुग जुग जीवें ललनवा,
आज जनमें ललनवा
राजा दसरथ जी के घरवा, आज जनमें ललनवा
नौमी तिथि आज सीत न घामा,
भये प्रकट दीनदयाला
राजा दसरथ जी के घरवा, आज जनमें ललनवा |
शुद्ध सुंदर अति मनोहर मंत्र वंदे मातरम,
विश्व विजयी शत्रु विजयी मंत्र वंदे मातरम,
वंदे मातरम, वंदे मातरम।
मंत्र यह है, तंत्र यह है, यंत्र वंदे मातरम,
ओजमय बल-कांतिमय सुख शांति वंदे मातरम,
नाड़ियों के रक्त में बहता है वंदे मातरम,
वंदे मातरम, वंदे मातरम।
जेल में हो तो जपो यह मंत्र वंदे मातरम,
बेड़ियों को ही बजा कर गाओ वंदे मातरम,
बोल दो सब आज वीरों मंत्र वंदे मातरम,
वंदे मातरम, वंदे मातरम।
तीर, गोली तोप की है आन वंदे मातरम,
तीर बर्छी के लिए है ढाल वंदे मातरम,
वेग से सिर भी कटे, भूलो न वंदे मातरम,
वंदे मातरम, वंदे मातरम।
Padmashree Malini Awasthi
चढ़इल चैत चित लागे न बाबा के भवनवा
बीर बमनवा सगुन बिचारो
कब हुइहैं पिया से मिलनवा
चढ़इल चैत चित लागे न बाबा के भवनवा
Chaiti is a folk genre in Indian music from Uttar Pradesh, Bihar.
A Kajari song from Mirzapur by Malini Awasthi. It is sung in the rainy season, especially on Kajali Teej festival at Vindhyavasini Devi temple, Mirzapur, Uttar Pradesh, India.
अरे रामा सावन मा घनघोर बदरिया छाई रे हारी
घन उमड़ घुमड़ के छाये, उत कजारे घन छाये रे रामा
अरे रामा झींगुर की छनकारि, पिया को लागे प्यारी रे हारी
झूला पड़ा कदम की डारि, झूलें ब्रिज के नर नारि
अरे रामा पेंग बढ़ावे राधा प्यारी, पिया को लागे प्यारी रे हारी
अरे रामा सावन मा घनघोर बदरिया छाई रे हारी
बदरिया छाई रे हारी
बाबा निमिया के पेड़ जिनि काटियो रे, निमिया पे चिरैया के बसेरे,
बलैंया लेहुं भैया के
बाबा सगरी चिरैया उड़ि जैहे
रहि जइ निमिया अकेलि
बलैया लेहुं भैया के
बाबा सगरी बिटिया घरि चले जइहे
माई रहि जाये अकेलि
बलैया लेहुं भैया की
राधा कृष्ण की दासिनी, कृष्ण राधा को दास
जनम प्रभु सभी को दीजिये वृन्दावन को वास
श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी
दिन नहीं चैन, रैन नहीं निंदिया
सुन तोरी मुरलिया, मैं मर जाउंगी
श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी
अईले कन्हैया, रे अईले कन्हैया
नंद बाबा घर अईले कन्हैया
देवकी ने जाये लाल, जशोदा ने पाये
सोये पहराउ लेके वसुदेव आये
जसोदा से नेग खातिर झगरे नौनिया
नंद बाबा घर अईले कन्हैया