Sri Banke Bihari ji ke sawaiya, 14 of 144
१४. मेरो स्वभाव चितैवे को माई री, लाल निहारि कै बंसी बजाई । बा दिन सों मोहिं लागो ठगौरी सी लोग कहैं लखि बाबरी आई ॥ यों ‘रसखानि’ घिरी सिगरो ब्रज जानत है जिय की जियराई । जो कोऊ चाहै भली अपनो, तो सनेह न काहूसों कीजियो माई ॥ In this