Sri Banke Bihari ji ke sawaiya, 44 of 144
केहि पापसों पापी न प्राण चलैं अटके कित कौन विचारलयो। नहिं जानि परै ‘हरिचन्द’ कछू विधि ने हमसों हठ कौन ठयो॥
केहि पापसों पापी न प्राण चलैं अटके कित कौन विचारलयो। नहिं जानि परै ‘हरिचन्द’ कछू विधि ने हमसों हठ कौन ठयो॥
आरती प्रीतम प्यारी की, कि बनवारी नथवारी की एक सिर मोर मुकुट राजे एक सिर चूनर छवि साजे दुहुन सिर तिरछे भल भ्राजे संग ब्रजबाल, लाडली लाल, बांह गल डाल ‘कृपालु’ दुहुन दृग चारि की
मनमोहन सों बिछुरी जबसों तन आँसुन सौ सदा धोवती हैं। ‘हरिचन्द’ जू प्रेम के फन्द परी कुल की कुललाजहिं खोवती हैं॥
मन में बसी बस चाह यही प्रिय नाम तुम्हारा उचारा करूं। बिठला के तुम्हें मन मंदिर में मन मोहन रूप निहारा करूं॥
या छवि कूं ‘रसखान’ विलोकत बारत काम कलानिधि कोटी। काग के भाग कहा कहिये हरि हाथ ते लै गयो माखन रोटी॥ A Braj sawaiya by poet Raskhan.
jaago bansi vaare lalana, jaago more pyaare re… rajani beeti bhor bhai e ji ghar ghar khule kiwaare gopi dahi mathat suniyat hai kangan ke jhankaar re…
१८. राधिका कान्ह को ध्यान धरैं, तब कान्ह ह्वै राधिका के गुण गावैं । त्यों अँसुवा बरसैं बरसाने को पाती लिखैं लिखि राधे को ध्यावैं ॥ राधे ह्वै जायँ घरीक में ‘देव’ सु प्रेम की पाती लै छाती लगावैं । आपने आप ही में उरझैं सुरझैं , उरझैं,
मानस हों तो वही ‘रसखान’, मिलूँ पुनि गोकुल गाँव के ग्वारन । जो पसु होऊँ कहा वस मेरो, चरूँ पुनि नन्द के धेनु मझारन ॥ पाहन हों तो वही गिरि को, जो कियो जिमि छत्र पुरंदर कारन । जो खग होऊँ वसेरो करूँ, नित कालन्दी कूल कदम्ब की डारन ॥ Raskhan says
This sawaiya verse says: Krishna is very naughty.… He sends the music of his flute as a messenger to places wherever even the breeze has no access!
This sawaiya verse from Vraj says: Why do you call a physician to take care of my illness? How can I live without seeing the sweet smile of Krishna? You are taking trouble to mix herbs for medicine;