Vrindavan bhajan for Sri Radha Rani

माना कि मैं पतित बहुत हूं, हौ पतित पावन तेरो नाम, लाड़ली श्री राधे किशोरी मेरी श्री राधे, लाड़ली श्री राधे, स्वामिनी श्री राधे Feeling grateful for the oral traditions of India :) My heritage.

23 March, 2014

Meera Bai bhajan by Vani Jairam, Shyam mane chaakar raakho ji

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श्याम मने चाकर राखो जी, चाकर रहसूं, बाग लगासूं नित उठ दर्सन पासूं बृंदाबन की कुंज गलिन में तेरी लीला गासूं श्याम मने चाकर राखो जी, चाकरी में दर्सन पाऊं, सुमिरन पाऊं खरची भाव भक्ति जागीरी पाऊं, तीनों बातां सरसी श्याम मने चाकर राखो जी, मोर

22 January, 2012


Meera Bai Bhajan – Sakhi ree mohe laage vrinavan neeko

आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको निर्मल नीर बहत यमुना को, भोजन दूध दही को, सखी सी मोहे लागे वृन्दावन नीको  आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको रतन सिंहासन आप विराजे, मुकुट धरे तुलसी को आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको कुंजन कुंजन फिरत राधिका, शब्द

29 April, 2011

Holi song lyrics from Vrindavan, Mai holi kaise kheloongi jaa saavariyaa ke sang

रंग मैं होरी कैसे खेलूंगी जा सांवरिया के संग कोरे कोरे कलस मंगाये, वा मे घोला रंग, भर पिचकारी सम्मुख मारी, चोली हो गई तंग रंग मैं होरी कैसे… तबला बाजे, सरंगी बाजे, और बाजे मिरदंग, कान्हा जी की मुरली बाजे, राधा जी के संग रंग मैं होरी कैसे… इत ते

24 February, 2011

Holi song from Vrindavan, Ut mat jaa thaado Mukutvaaro

मैके गई सौभाग्यवती रे, रमण पिया मोहे रंग डारो, उत मत जा… This song depicts a scene from the festival of Holi in Vrindavan, India: There are clouds of colours all around. Krishna is playing Holi very enthusiastically, colouring anyone who comes

24 February, 2011

Radha Krishna lila, Sri Banke Bihari ke sawaiya, 50 of 144

५०. हेलो री मैं लख्यो आजु को खेल बखान कहां लौ करे मत मोरी। राधे के सीस पै मोर पखा मुरली लकुटी कटि में पट डोरी॥ बेनी विराजत लाल के भाल ओ चूनर रंग कसूम में बोरी। मान के मोहन बैठि रहे सो मनावति श्री वृषभान किसोरी॥५०॥

25 November, 2010



Raskhan ke dohe, Sri Banke Bihari ke sawaiya, 48 of 144

चित्र लिखी सी भई सब देह न वैन कढ़ै मुख दीन्हें दुहाई। कैसी करूं जित जाऊं तितै सब बोलि उठैं वह बांवरी आई॥४८॥ Meaning of this sawaiya verse by Raskhan My eyes have been arrested by the all attractive sight of Krishna :-) On seeing Krishna,

25 October, 2010



    Swami Ramtirtha’s poem, I am what you are