Vrindavan bhajan for Sri Radha Rani
माना कि मैं पतित बहुत हूं, हौ पतित पावन तेरो नाम, लाड़ली श्री राधे किशोरी मेरी श्री राधे, लाड़ली श्री राधे, स्वामिनी श्री राधे Feeling grateful for the oral traditions of India :) My heritage.
माना कि मैं पतित बहुत हूं, हौ पतित पावन तेरो नाम, लाड़ली श्री राधे किशोरी मेरी श्री राधे, लाड़ली श्री राधे, स्वामिनी श्री राधे Feeling grateful for the oral traditions of India :) My heritage.
श्याम मने चाकर राखो जी, चाकर रहसूं, बाग लगासूं नित उठ दर्सन पासूं बृंदाबन की कुंज गलिन में तेरी लीला गासूं श्याम मने चाकर राखो जी, चाकरी में दर्सन पाऊं, सुमिरन पाऊं खरची भाव भक्ति जागीरी पाऊं, तीनों बातां सरसी श्याम मने चाकर राखो जी, मोर
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको निर्मल नीर बहत यमुना को, भोजन दूध दही को, सखी सी मोहे लागे वृन्दावन नीको आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको रतन सिंहासन आप विराजे, मुकुट धरे तुलसी को आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको कुंजन कुंजन फिरत राधिका, शब्द
रंग मैं होरी कैसे खेलूंगी जा सांवरिया के संग कोरे कोरे कलस मंगाये, वा मे घोला रंग, भर पिचकारी सम्मुख मारी, चोली हो गई तंग रंग मैं होरी कैसे… तबला बाजे, सरंगी बाजे, और बाजे मिरदंग, कान्हा जी की मुरली बाजे, राधा जी के संग रंग मैं होरी कैसे… इत ते
मैके गई सौभाग्यवती रे, रमण पिया मोहे रंग डारो, उत मत जा… This song depicts a scene from the festival of Holi in Vrindavan, India: There are clouds of colours all around. Krishna is playing Holi very enthusiastically, colouring anyone who comes
५०. हेलो री मैं लख्यो आजु को खेल बखान कहां लौ करे मत मोरी। राधे के सीस पै मोर पखा मुरली लकुटी कटि में पट डोरी॥ बेनी विराजत लाल के भाल ओ चूनर रंग कसूम में बोरी। मान के मोहन बैठि रहे सो मनावति श्री वृषभान किसोरी॥५०॥
॥ रागनी आसावरी ॥ Swami Sri Haridas's poetry, वंदे अख्त्यार भला। चित न डुलाव आव समाधि भीतर न होहु अगला॥
Kaliya Nag is a symbol of the 5 senses, and the episode signifies that the master of the senses should be Krishna, else the waters of life would be poisoned by the craving and misery that the senses are capable of bringing, just like the presence of
चित्र लिखी सी भई सब देह न वैन कढ़ै मुख दीन्हें दुहाई। कैसी करूं जित जाऊं तितै सब बोलि उठैं वह बांवरी आई॥४८॥ Meaning of this sawaiya verse by Raskhan My eyes have been arrested by the all attractive sight of Krishna :-) On seeing Krishna,