और महीनवा मा बरसे ना बरसे, फगुनवा मा रंग रच रच बरसे|
अरे फागुन को एसो गुन
महल मढ़ई दूनों एक होई जायें
और राजा और रंक दूनों मिल कर गायें|
क्या?
फगुनवा मा रंग रच रच बरसे...
अरे बाग वाली भीजे, बगेचा वाली भीजे
उहों भीज गईली जो निकली ना घर से
फगुनवा मा रंग रच रच बरसे...
लरिका भी भीज लीं, मेहरारू भी भीज लीं,
मेहरारू भी भीज लीं, परानिवा भी भीज लीं,
उहों भीज लईली जो अस्सी बरस की
फगुनवा मा रंग रच रच बरसे...
बाबा निमिया के पेड़ जिनि काटियो रे, निमिया पे चिरैया के बसेरे,
बलैंया लेहुं भैया के
बाबा सगरी चिरैया उड़ि जैहे
रहि जइ निमिया अकेलि
बलैया लेहुं भैया के
बाबा सगरी बिटिया घरि चले जइहे
माई रहि जाये अकेलि
बलैया लेहुं भैया की
राधा कृष्ण की दासिनी, कृष्ण राधा को दास
जनम प्रभु सभी को दीजिये वृन्दावन को वास
श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी
दिन नहीं चैन, रैन नहीं निंदिया
सुन तोरी मुरलिया, मैं मर जाउंगी
श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी
अईले कन्हैया, रे अईले कन्हैया
नंद बाबा घर अईले कन्हैया
देवकी ने जाये लाल, जशोदा ने पाये
सोये पहराउ लेके वसुदेव आये
जसोदा से नेग खातिर झगरे नौनिया
नंद बाबा घर अईले कन्हैया
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा
मोरे प्रान बसे हिमखोह रे बटोहिया
जाओ जाओ भैया रे बटोही हिंद देखि आओ
जहां ऋषि चारो वेद गावे रे
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा
मोरे प्रान बसे हिमखोह रे बटोहिया
गंगा के, जमुना के जगमग पनिया रे
सरजू झमकि लहि जावे रे
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा रे
मोरे बाप दादा की कहानी रे, बटोहिया
राति हम देखीले सपनवा, हो रामा, पिया घर अईले
इक छन बीतल, बोलत…
हाथ खियावत पनवा, हो रामा, पिया घर अईले
शामदास चाहे गरवा लगावन,
खुल गईल पलक नयनवा, हो रामा, पिया घर अईले
Chaiti is folk genre, sung in March, the month of Chaitra, and is about love and longing. Malini Awasthi is a student of epic singer Srimati Girija Devi who is a master of Chaiti and Kajari.
मिर्जापुर भईल गुल्जार हो, कचोड़ी गली सून कईला बलमू
सेजिया पे लोटे काला नाग हो, कचोड़ी गली सून कईला बलमू
एही मिर्जापुर से उड़्ले जहजिया हो गुइया,
सैया चले गईले रंगून हो, कचोड़ी गली सून कईला बलमू
पनवा से पातर भईल तोर धनिया,
देहिया कलेला जैसे नून हो, कचोड़ी गली सून कईला बलमू
हाथवा मे होत जो हमरे कटरिया,
बहा देती गोरवन के खून हो, कचोड़ी गली सून कईला बलमू
This song by Malini Awasthi is about missing the beloved.
रेलिया बैरन पिया को लिये जाय रे, रेलिया बैरन
जौंन टिकस्वा से बलमा मोरे जंइहे, पानी बरसे टिकस गल जाये रे, रेलिया बैरन…
जौंन सहरिया को सैया मोरे जंइहे, आग लग जैहे, सहर जल जाये रे, रेलिया बैरन…
जौन साहेबवा के पिया मोरे नौकर, लग जाये गोली, साहब मर जाये रे, रेलिया बैरन…
जौन सौतनिया पे पिया मोरे रीझे, खाय धतूरा सवत बौराय रे, रेलिया बैरन…
रेलिया बैरन पिया को लिये जाय रे, रेलिया बैरन…
~ संकलन कर्ता - पडित राम त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश
Malini Awasthi is a student of Srimati Girija Devi, and specialises in folk music from Uttar Pradesh and Bihar.
रेलिया बैरन पिया को लिये जाय रे, this song is a catharsis for millions of migrants from villages and small towns of Uttar Pradesh, Madhya Pradesh and Bihar. The husband or beloved leaves home to earn a livelihood and is missed by his family back home.