होरी खेल रहे हैं गुरुवर, अपने हरि भक्तों के संग,
हरि भक्तों के संग, अपने हरि भक्तों के संग
१. खेल रही हैं होरी, कर कर के हुड़दंग
गुरु हमारे खेलें होरी, करते रहें सत्संग
२. धर्म के कर में हो पिचकारी, भर विवेक का रंग
जिसके हृदय लगे ये निशाना, वह रह जाये दंग
३. ज्ञान गुलाल मलत मुख ऊपर, प्रेम का भर क रंग
पिया है जिसने वही हुआ है सदगुरु के … संग
४. कान्हा खेल रहे हैं होरी राधाजी के संग
सीता के संग रघुवर खेलें, भीजत हैं सब अंग

भूलूं ना याद तुम्हारी सुनो बनवारी, कि जिया घबराय रहा रे
मेरे मन में उठी है उमंग रे, होरी खेलूं श्याम तोरे संग रे
श्याम रंग भरी पिचकारी तान मोहे मारी, भिजोय मोरी सारी
कि जिया हर्षाय रहा रे More...
मेरा अंतर तिमिर मिटाओ, सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ
हे योगेश्वर, हे परमेश्वर, निज कृपा दृष्टि बरसाओ More...